बुधवार, 4 नवंबर 2009

झरना ..

water fall

Backgound is emboidered & painted...startched silk leaves strewn across the foot of the water fall..water faal is a silk plait combed to get an effect of a water fall॥unfortunately the pic lacks clarity!
तसवीर धुंदली निकली है...झरना सिल्क की चोटी को कंघीसे खुला किया ...तो झरने का एहसास हुआ..पहाडी परसे गिरता झरना...पत्ते जब पत झड़ मे गिरते है,तो ऐसे ही दिख पड़ते हैं ...सिल्क के छोटे पत्ते काटके लगाये हैं...काफ़ी कुछ कढाई ज़रिये बनाया है..

गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009

पसंदीदा उल्लू!

ये ५ फीट लम्बी और ३ फीट चौड़ी तस्वीर बनाई थी ...बड़ के पेडपे बैठा,"( stuff किया हुआ) उल्लू..रेशम से बने पत्ते , मकडी का जाला, नीचे उग रहे arum लिली, तथा, लेडी बर्ड ये कीडे भी...जो यहाँ पे नज़र नही आ रहे..

सूखा झरना!

इस तस्वीर की एक दूरसे ली छवी पोस्ट कर चुकी थी...ये पाससे ली है...ऊँचें रचे हुए पत्थरों पे नदीओं में मिलने वाले सफ़ेद, गोल पत्थर डाल रखे थे....पानी की फुहार सुराही में से निकलता थी जिसे water sculpture ..कहा जाता है...यहाँ पे फाइबर के बने लैंप लगाये थे, जब रातमे जलाये जाते थे, तो लगता था पत्थर से छनके रौशनी आ रही है....अब ये कवल तस्वीरें बगीचे तो रहे नही...बगीचों की आसान तरीक़ेसे बनानेके लिए ये कुछ सुझाव मात्र हैं!
इस तस्वीर को इस ब्लॉग पे डालने की वजह है,कि, इस भी मै अपने 'फाइबर आर्ट'मे तब्दील कर चुकी हूँ...किसी दिन उसकी तस्वीर भी पोस्ट कर दूँगी...!

शनिवार, 4 जुलाई 2009

कुछ और पँछी...








यहाँ पे मैंने काफ़ी कुछ पुराने ज़री के तुकडे, कढाई, कमख्वाब, लेस, सिल्क के तुकडे, और लाल रंग के परिंदे के लिए, पार्श्व भूमी मे रंगीन नेट का इस्तेमाल किया है...
एक चित्र,( लाल पँछी) जो, असली परिंदे की एक तस्वीर परसे बनाया है, बाकी सब, काल्पनिक हैं...सबसे पहला तो उल्लू है, ये नज़र आही रहा है!!
(उल्लू बड़े अच्छे लगते हैं...उन्हीं जाती-प्रजाती मै जो शामिल हूँ..!)
अन्तिम कढाई, आदिवासी जो चित्र कलामे रेखाटन करते हैं, उस तरह धागों से बनाई है...

शुक्रवार, 19 जून 2009

Birds of different feathers

Birds of different feathers










All of these birds live in my house. Of the hundreds of embroideries I’ve made & sold, the birds continue to remain with me. They’ve thrilled my friends, my nieces & cousins.

सब से नीचे वाले परिंदे के घोंसले मे नज़र आने वाले सफ़ेद फूलों के गुच्छे: उन्हें सर्व प्रथम मैंने, "water soluble fabric" पे बना लिया...उसके बाद, उतने हिस्से को पानी मे डुबो के , पीछे का 'फाब्रिक", जो जिलेटिन पेपर की तरह दिखता है, हटा दिया...! इन गुत्थियों को अब केवल एक टाँके से, कढाई पूरी होते, होते, टांक दिया...!

Water soluble fabric भारत मे नही मिलता। इत्तेफ़ाक़ से किसी क्राफ्ट बुक मे मुझे इसकी जानकारी मिली और मैंने किसी आने जाने वाले के साथ,ये मँगवा लिया...

घोंसले के ऊपर नज़र आनेवाली हरी पत्तियाँ: सफ़ेद रंग के सिल्क के टुकड़े को मैंने water कलर से पेंट कर लिया...
तत् पश्च्यात उसे पत्तियों के आकार मे काट लिया...फ्रेम बनने से पहले सिर्फ़ एकेक बारीक टाँके से हर पत्ती को सी लिया...दुर्भाग्य वश, घोंसले का ऊपरी हिस्सा ठीक से नज़र नही आ रहा है..ऊपर की दो पत्तियाँ छुप गयीं हैं..

मेरी एक मराठी किताब का, जिसका गर हिन्दी तर्जुमा हो तो शीर्षक होगा," जा,उड़ जारे पंछी",ये मुख पृष्ठ है। इस शीर्षक तहेत एक मालिका, मेरे "ललितलेख" इस ब्लॉग पे है। मूल किताब मे अन्य १४ लेख हैं। उस किताब मे शीर्षक लेख छोटा है, बनिस्बत के जो हिन्दी मे है।

मेरे "lalitlekh"ब्लॉग पे किताब के मुख पृष्ठ की पूरी तसवीर मैंने लगा दी है...
http://lalitlekh.blogspot.com

चित्र बनाया तब, सपने मे भी नही था,कि, कभी मेरी ही किताब का ये मुख पृष्ठ बनेगा!! किसने सोचा था, कि, मेरी बिटिया, जो, कढाई बनते समय केवल १३ साल की थी, अपना देश छोड़, कहीँ दूर मुल्क मे जा बसेगी...!और १२ साल बाद , उसकी याद मे ये लेख लिखा जायेगा...! खैर!

इस फ्रेम पे जब उजाला पड़ता है,तब ये फूल तथा, रेशम से बनी, हरे पत्तियों की परछाई पड़ती है...चित्र मे ३ डी इफेक्ट के कारन सजीवता नज़र आती है...
नीले रंग के ( आसमानी) सिल्क पे, हल्का-सा वाटर कलर करने के बाद, मैंने इस परिंदे का अस्पष्ट-सा रेखांकन कर लिया। ये चित्र मुझे World encyclopedia of birds ,इस पुस्तक मे मिला था...किसी वाचनालय से मै ये किताब ले आयी थी...परिंदे का नाम इस वक़्त याद नही आ रहा है...जब याद आयेगा, पोस्ट मे लिख दूँगी! ( Red headed Finch, ये नाम है, लेकिन यक़ीन नही)।

ऊपर से दूसरा चित्र है, Red eyed bulbul इस पँछी का..

तीसरा सभीका जाना पहचाना..."king fisher"!
परिंदों के पँख काढ़ते समय मैंने, धागों का ही इस्तेमाल किया है, वहाँ ज़राभी पेंट नही है...वरना आवाहन ही नही रह जाता...!
इन परिंदों के लेके सबसे बढ़िया compliment मुझे एक ३ साल के बच्चे से मिला था...." आपने इन परिंदों को मार दिया और फिर कांच के पीछे चिपका दिया"?

बुधवार, 29 अप्रैल 2009

पँछी

Old Birds

पहले चित्रमे सोफा, परदे, आदिके सैम्पल के टुकड़े/बचे हुए तुकडे इस्तेमाल किए गए हैं.
लाल परिंदा सिर्फ़ धागोंसे बनाया है..इसमे कहीँ कोई पेंट नही...ब्रश के स्ट्रोक्स का इफेक्ट, धागोंसे ही दिया है.
इस चित्रमे फूल/पत्ते तो पेंट किए हैं, चिडिया कढाई कर के बनाई है।
इस चित्रमे केवल कढाई की गयी है। पँछी की कढाई ( सभी जगह) असली तस्वीरोंपरसे बनाई गयी है...जैसे world encyclopedea of birds आदि)
पँछी को काढ़ते समय उसके पर और पँख, तथा आँखें, ये दो चीज़ें बेहद एहमियत रखती हैं....


1 comments:

ruby snail said...

Hello! I came across this blog through Craftster. You are such an AMAZING artist. I am in awe. I only hope someday to have such a brilliant eye for detail, Thank-You! Love from Ruby.

मंगलवार, 28 अप्रैल 2009

माँ और बेटी...

Using the yarn my daughter spun...

हरेक तस्वीर एक कहानी कहती है...इसमे यादगारें बसीं हुई हैं....मेरी परदादीके satinke लेहेंगेका टुकडा आकाश बना है.....अहमदनगर के गांधी कहलानेवाले स्वर्गीय रावसाहेब पटवर्धन मेरे लोकल गार्डियन हुआ करते थे...उनकी पत्नीने मुझे खादी सिल्ककी एक shawl दी थी....मूड आया तो मेरे पास अन्य कोई पर्याय नही था..वो शाल कट गयी...और ज़मीनका हिस्सा बन गयी...स्वर्गीय रमेशचंद्र कानडे हमारे मुम्बईमे पड़ोसी थे...उनका एक पुराना कुर्ता,उनकी पत्नीने मुझे दे दिया..उसमेसे पेडके तने और डालें बनी.......एक छोटासा तन्छोईका टुकडा...और बाकी बिटियाने बनाये और रंगे सूतके तुकडे...और मेरी कढाई....कहीँ, कहीँ, लकडी के बीड्स भी टांके गए हैं...



I made the 2 pieces above using the yarns that my daughter spun for me on her spinning wheel in the United States (close ups are larger). She intends to get me more the next time she returns. My daughter weaves & spins.
चंद शब्दोंमे बयान करुँ "तो कहीँ का दीपक कहीँ की बाती...!" अक्सर मेरा परिधान भी ऐसाही होता है...!वैसे मेरी बेटी MArch है.....लेकिन स्पिनिंग और weaving सीखके ५ माहके अन्दर उसने अमरीकामे ७ अवार्ड्स जीत लिए...उनमेसे ३ प्रथम....और अब सेल्फ taught फोटोग्राफर बन गयी है....

Most of my work is for sale.
+91 - 986 033 6983

8 comments:

Desiknitter said...

Wow. These are simply stunning! तुमचं काम फारच सुरेख आहे! I have to look at all of them carefully, but your choice of colour and the landscapes are lovely.

Monica said...

Wow, quite beautiful!

Sharon said...

What lovely work you do...

Marji said...

I am speechless. Your work is beautiful.

शमा said...

Thanks a lot for appreciating my work. I wish you could visit
my home in India apart from my exhibitions, so that I could show you many,many more things closely! I must give credit to my daughter who painstakingly did the photography( a lot more has to be uploaded yet) & helped me create this blog. Wish, I had photographed all those
embroideries which got sold over a period of 25 years.
Thanks once again.
Regards
शमा

Jenne said...

These are so beautiful! I don't think I've ever seen anything quite like it. You're very talented!

छोटे,छोटे घर...

छोटे , छोटे, घर....

Houses & village.



At one time I was obsessed with houses. Clusters really intrigue me. There's another image that my daughter still has to upload.
I have a friend in India who bought several of the clusters I'd appliqued & embroidered. Wish I had photos...ये सारी तस्वीरें, पुराने बचे कपडों मेसे बनी हैं..कहीँ तो बेटेका खादीका पुराना पजामा है, जिसका पेड्का तना बन गया, तो कहीं,कुरते और दुपट्टों मेसे से बचे टुकडें हैं...कुछ कढाई भी ....

पुराने लेसके तुकडे, कुछ सिल्कके तुकडे, और कढाई..!.

Lace flower vase। ये भित्ती चित्र बचे हुए टुकडों मेसे बना है...

I had a BALL making this one. Rosettes, 105 year old ancestral laces, silk & embroidery. This frame must be at least 15 years old. I've preserved most of the family heirloom laces in this fashion. I made about 4 more vases using the remaining family lace I had. My daughter says it wasn't easy photographing them because of the reflective glass.कुछ लेसेस तुकडे तो १०० सालसे अधिक पुराने होंगे...नेट्स्भी ऐसीही कई जगहसे फटी हुई थी...जो ठीक लगी,वो चित्रमे शामिल हो गयी...

बरसातमे पहाडियों से गुफ्तगू करती बदरियाँ ...

waste not want not....

Misty hills in rains!!

बारिशों मे पहाडोंका क्या गज़ब गूढ़ आकर्षण होता है...रेशमके कपडेपे water कलर, उसके ऊपर धुंद दिखानेके लिए शिफोनका एक layer ....कुछ अन्य रंगों के तुकडे, ज़मीन, पहाड़, घान्सफूस, दिखलाते है...इन कपडों पे कढाई की गयी है....कल्पना ली गयी थे, मुम्बई-पुनेके सफरके दौरान, लोनावलाकी पहाडियों को देख...

शनिवार, 11 अप्रैल 2009

ओशो गार्डन पेसे ली गयी कल्पना ...

Friday, November 25, 2005

Garden path & its detail.
An abundance of stiches & some color on hand woven cotton।( पुनेके ओशो गार्डन पेसे ये कल्पना ली मैंने...उसमे अपने मनसे कुछ बदलाव लाये गए हैं....)इसमे कई सारे कढाई के टांकों का इस्तेमाल किया है....बगीचेमे भरे रंग और फूलोंकी कल्पना अपने मनसे की है....)

नेम प्लेट्स (Name Plate)

WE LOVE HERE





अपनी बेटी और उसकी सहेली के लिए ये Name प्लेट्स बना दी थीं मैंने....इसमे कई किसमके अलग,अलग कपडेके, सूतके, तथा sliver, जो सूत बनानेसे पहलेकी अवस्था होती है..(जिसे मेरी बेटीने हैण्ड डाई किया है),इनका इस्तेमाल किया है...कुछ दादा-परदादाके ज़मानेके बटन हैं, जिन्हें अन्डोंकी तौरपे इस्तेमाल किया है...कुछ कढाई है....जो घोंसला दिखाई दे रहा है, वो plumber ने फेंका हुआ रस्सीका गुच्छा है...नलके को टाइट करनेके लिए इस्तेमाल किया गया था...
"Here are images of 2 charming picture frames my mother made for me & my friend Sonia. Ashwin's my husband & Manoj is Sonia's husband".