
गुरुवार, 1 अक्टूबर 2009
पसंदीदा उल्लू!

सूखा झरना!

इस तस्वीर को इस ब्लॉग पे डालने की वजह है,कि, इस भी मै अपने 'फाइबर आर्ट'मे तब्दील कर चुकी हूँ...किसी दिन उसकी तस्वीर भी पोस्ट कर दूँगी...!
शनिवार, 4 जुलाई 2009
कुछ और पँछी...








एक चित्र,( लाल पँछी) जो, असली परिंदे की एक तस्वीर परसे बनाया है, बाकी सब, काल्पनिक हैं...सबसे पहला तो उल्लू है, ये नज़र आही रहा है!!
(उल्लू बड़े अच्छे लगते हैं...उन्हीं जाती-प्रजाती मै जो शामिल हूँ..!)
अन्तिम कढाई, आदिवासी जो चित्र कलामे रेखाटन करते हैं, उस तरह धागों से बनाई है...
शुक्रवार, 19 जून 2009
Birds of different feathers
Birds of different feathers









All of these birds live in my house. Of the hundreds of embroideries I’ve made & sold, the birds continue to remain with me. They’ve thrilled my friends, my nieces & cousins.
सब से नीचे वाले परिंदे के घोंसले मे नज़र आने वाले सफ़ेद फूलों के गुच्छे: उन्हें सर्व प्रथम मैंने, "water soluble fabric" पे बना लिया...उसके बाद, उतने हिस्से को पानी मे डुबो के , पीछे का 'फाब्रिक", जो जिलेटिन पेपर की तरह दिखता है, हटा दिया...! इन गुत्थियों को अब केवल एक टाँके से, कढाई पूरी होते, होते, टांक दिया...!
Water soluble fabric भारत मे नही मिलता। इत्तेफ़ाक़ से किसी क्राफ्ट बुक मे मुझे इसकी जानकारी मिली और मैंने किसी आने जाने वाले के साथ,ये मँगवा लिया...
घोंसले के ऊपर नज़र आनेवाली हरी पत्तियाँ: सफ़ेद रंग के सिल्क के टुकड़े को मैंने water कलर से पेंट कर लिया...
तत् पश्च्यात उसे पत्तियों के आकार मे काट लिया...फ्रेम बनने से पहले सिर्फ़ एकेक बारीक टाँके से हर पत्ती को सी लिया...दुर्भाग्य वश, घोंसले का ऊपरी हिस्सा ठीक से नज़र नही आ रहा है..ऊपर की दो पत्तियाँ छुप गयीं हैं..
मेरी एक मराठी किताब का, जिसका गर हिन्दी तर्जुमा हो तो शीर्षक होगा," जा,उड़ जारे पंछी",ये मुख पृष्ठ है। इस शीर्षक तहेत एक मालिका, मेरे "ललितलेख" इस ब्लॉग पे है। मूल किताब मे अन्य १४ लेख हैं। उस किताब मे शीर्षक लेख छोटा है, बनिस्बत के जो हिन्दी मे है।
मेरे "lalitlekh"ब्लॉग पे किताब के मुख पृष्ठ की पूरी तसवीर मैंने लगा दी है...
http://lalitlekh.blogspot.com
चित्र बनाया तब, सपने मे भी नही था,कि, कभी मेरी ही किताब का ये मुख पृष्ठ बनेगा!! किसने सोचा था, कि, मेरी बिटिया, जो, कढाई बनते समय केवल १३ साल की थी, अपना देश छोड़, कहीँ दूर मुल्क मे जा बसेगी...!और १२ साल बाद , उसकी याद मे ये लेख लिखा जायेगा...! खैर!
इस फ्रेम पे जब उजाला पड़ता है,तब ये फूल तथा, रेशम से बनी, हरे पत्तियों की परछाई पड़ती है...चित्र मे ३ डी इफेक्ट के कारन सजीवता नज़र आती है...
नीले रंग के ( आसमानी) सिल्क पे, हल्का-सा वाटर कलर करने के बाद, मैंने इस परिंदे का अस्पष्ट-सा रेखांकन कर लिया। ये चित्र मुझे World encyclopedia of birds ,इस पुस्तक मे मिला था...किसी वाचनालय से मै ये किताब ले आयी थी...परिंदे का नाम इस वक़्त याद नही आ रहा है...जब याद आयेगा, पोस्ट मे लिख दूँगी! ( Red headed Finch, ये नाम है, लेकिन यक़ीन नही)।
ऊपर से दूसरा चित्र है, Red eyed bulbul इस पँछी का..
तीसरा सभीका जाना पहचाना..."king fisher"!
परिंदों के पँख काढ़ते समय मैंने, धागों का ही इस्तेमाल किया है, वहाँ ज़राभी पेंट नही है...वरना आवाहन ही नही रह जाता...!
इन परिंदों के लेके सबसे बढ़िया compliment मुझे एक ३ साल के बच्चे से मिला था...." आपने इन परिंदों को मार दिया और फिर कांच के पीछे चिपका दिया"?
बुधवार, 29 अप्रैल 2009
पँछी
Old Birds








1 comments:
मंगलवार, 28 अप्रैल 2009
माँ और बेटी...
Using the yarn my daughter spun...




I made the 2 pieces above using the yarns that my daughter spun for me on her spinning wheel in the United States (close ups are larger). She intends to get me more the next time she returns. My daughter weaves & spins.
चंद शब्दोंमे बयान करुँ "तो कहीँ का दीपक कहीँ की बाती...!" अक्सर मेरा परिधान भी ऐसाही होता है...!वैसे मेरी बेटी MArch है.....लेकिन स्पिनिंग और weaving सीखके ५ माहके अन्दर उसने अमरीकामे ७ अवार्ड्स जीत लिए...उनमेसे ३ प्रथम....और अब सेल्फ taught फोटोग्राफर बन गयी है....
Most of my work is for sale.
+91 - 986 033 6983
8 comments:
- Desiknitter said...
-
Wow. These are simply stunning! तुमचं काम फारच सुरेख आहे! I have to look at all of them carefully, but your choice of colour and the landscapes are lovely.
- 8:30 PM
- Monica said...
-
Wow, quite beautiful!
- 9:01 PM
- Sharon said...
-
What lovely work you do...
- 3:19 PM
- Marji said...
-
I am speechless. Your work is beautiful.
- 7:13 AM
- शमा said...
-
Thanks a lot for appreciating my work. I wish you could visit
my home in India apart from my exhibitions, so that I could show you many,many more things closely! I must give credit to my daughter who painstakingly did the photography( a lot more has to be uploaded yet) & helped me create this blog. Wish, I had photographed all those
embroideries which got sold over a period of 25 years.
Thanks once again.
Regards
शमा - 7:44 PM
- Jenne said...
-
These are so beautiful! I don't think I've ever seen anything quite like it. You're very talented!
छोटे,छोटे घर...
छोटे , छोटे, घर....
Houses & village.


At one time I was obsessed with houses. Clusters really intrigue me. There's another image that my daughter still has to upload.
I have a friend in India who bought several of the clusters I'd appliqued & embroidered. Wish I had photos...ये सारी तस्वीरें, पुराने बचे कपडों मेसे बनी हैं..कहीँ तो बेटेका खादीका पुराना पजामा है, जिसका पेड्का तना बन गया, तो कहीं,कुरते और दुपट्टों मेसे से बचे टुकडें हैं...कुछ कढाई भी ....
Hello! I came across this blog through Craftster. You are such an AMAZING artist. I am in awe. I only hope someday to have such a brilliant eye for detail, Thank-You! Love from Ruby.