शुक्रवार, 19 जून 2009

Birds of different feathers

Birds of different feathers










All of these birds live in my house. Of the hundreds of embroideries I’ve made & sold, the birds continue to remain with me. They’ve thrilled my friends, my nieces & cousins.

सब से नीचे वाले परिंदे के घोंसले मे नज़र आने वाले सफ़ेद फूलों के गुच्छे: उन्हें सर्व प्रथम मैंने, "water soluble fabric" पे बना लिया...उसके बाद, उतने हिस्से को पानी मे डुबो के , पीछे का 'फाब्रिक", जो जिलेटिन पेपर की तरह दिखता है, हटा दिया...! इन गुत्थियों को अब केवल एक टाँके से, कढाई पूरी होते, होते, टांक दिया...!

Water soluble fabric भारत मे नही मिलता। इत्तेफ़ाक़ से किसी क्राफ्ट बुक मे मुझे इसकी जानकारी मिली और मैंने किसी आने जाने वाले के साथ,ये मँगवा लिया...

घोंसले के ऊपर नज़र आनेवाली हरी पत्तियाँ: सफ़ेद रंग के सिल्क के टुकड़े को मैंने water कलर से पेंट कर लिया...
तत् पश्च्यात उसे पत्तियों के आकार मे काट लिया...फ्रेम बनने से पहले सिर्फ़ एकेक बारीक टाँके से हर पत्ती को सी लिया...दुर्भाग्य वश, घोंसले का ऊपरी हिस्सा ठीक से नज़र नही आ रहा है..ऊपर की दो पत्तियाँ छुप गयीं हैं..

मेरी एक मराठी किताब का, जिसका गर हिन्दी तर्जुमा हो तो शीर्षक होगा," जा,उड़ जारे पंछी",ये मुख पृष्ठ है। इस शीर्षक तहेत एक मालिका, मेरे "ललितलेख" इस ब्लॉग पे है। मूल किताब मे अन्य १४ लेख हैं। उस किताब मे शीर्षक लेख छोटा है, बनिस्बत के जो हिन्दी मे है।

मेरे "lalitlekh"ब्लॉग पे किताब के मुख पृष्ठ की पूरी तसवीर मैंने लगा दी है...
http://lalitlekh.blogspot.com

चित्र बनाया तब, सपने मे भी नही था,कि, कभी मेरी ही किताब का ये मुख पृष्ठ बनेगा!! किसने सोचा था, कि, मेरी बिटिया, जो, कढाई बनते समय केवल १३ साल की थी, अपना देश छोड़, कहीँ दूर मुल्क मे जा बसेगी...!और १२ साल बाद , उसकी याद मे ये लेख लिखा जायेगा...! खैर!

इस फ्रेम पे जब उजाला पड़ता है,तब ये फूल तथा, रेशम से बनी, हरे पत्तियों की परछाई पड़ती है...चित्र मे ३ डी इफेक्ट के कारन सजीवता नज़र आती है...
नीले रंग के ( आसमानी) सिल्क पे, हल्का-सा वाटर कलर करने के बाद, मैंने इस परिंदे का अस्पष्ट-सा रेखांकन कर लिया। ये चित्र मुझे World encyclopedia of birds ,इस पुस्तक मे मिला था...किसी वाचनालय से मै ये किताब ले आयी थी...परिंदे का नाम इस वक़्त याद नही आ रहा है...जब याद आयेगा, पोस्ट मे लिख दूँगी! ( Red headed Finch, ये नाम है, लेकिन यक़ीन नही)।

ऊपर से दूसरा चित्र है, Red eyed bulbul इस पँछी का..

तीसरा सभीका जाना पहचाना..."king fisher"!
परिंदों के पँख काढ़ते समय मैंने, धागों का ही इस्तेमाल किया है, वहाँ ज़राभी पेंट नही है...वरना आवाहन ही नही रह जाता...!
इन परिंदों के लेके सबसे बढ़िया compliment मुझे एक ३ साल के बच्चे से मिला था...." आपने इन परिंदों को मार दिया और फिर कांच के पीछे चिपका दिया"?

4 टिप्‍पणियां:

Arvind Gaurav ने कहा…

kala ka behtareen namuna pesh kiya hai aapne

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

adbhut........ maine pehli baar fiber arts ke baare mein jaana..........

Thanx for getting knowing such a beautiful art.......

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

मनमोह्क रूपसज्जा,
मन लुभाने वाले पक्षियों का संसार
बहुत अच्छा लगा।

sangeeta ने कहा…

Hi Shama..
you are such a talented person...loved your art and your embroidery , but most of all i loved what you have wrote in your introduction ( mere bare me )...it's true that communication is very important when you need absolute strength in life...